beti

गर्भ में पल रही वो नन्ही सी जान
 मतलबी दुनिया की मासूम मेहमान 
चाहती है जीने का हक
 लड़की होने के गुनाह से अनजान

 मार दी जाती है गर्भ में ही
 या जन्म ले ले लेने के दौरान
कातिल दुनिया के मंसूबों से बेखबर 
मांगती है सिर्फ एक जीवनदान 

बेटी बनने से पहले लाद दी जाती है 
पिता पर वह बोझ के समान 
वह खुशियों का काला टीका
 बन जाती है कलंक का निशान

 न जाने कितने रिश्ते नातों से बंधी है
 पर ना अपना वजूद है ना कोई नाम 
रह जाती है ढूंढती वो 
ताउम्र अपनी  ही पहचान

 अथाह और आजाद है 
उसके सपनों का आसमान
 कतर दिए जाते हैं पंख एक दिन
 नहीं भर पाती आजादी की उड़ान 

घर की संपत्ति पूंजी की भांति
 कर दिया जाता है उसका कन्यादान
 ताने भी मिलते हैं और  जिम्मेदारियां भी 
 नहीं मिलता तो बस सम्मान

कभी दहेज के लिए प्रताड़ित होती 
तो कभी देनी पड़ती है जान 
शान मिले जो पूत को जन्मा 
वरना दोहराई जाती है फिर वही  दास्तान 

@nu$h@

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Gungunana hamari fidrat h

Mai khud ko khoti Jaa rhi hu

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